बेठ के सामने आयने के, मेने पूरा मुवायना किया,अपनी चाहते ,शिकायतें अपने गीले ,शिकवेअपनी दर्द और तकलीफों का पूरा बयान दिया.........
समझदार था वो शख्स !
आयने में उभरा वो मेरा अक्स,
सुकून से उसने मुझे सुना....
गलत या सही किसी हिस्से में नही चुना,
फिर तसल्ली से उसने मुझे समझाया
और तन्हा होने का फायदा भी बताया
बताया उसने मुझे कि उम्मीदें बेज़ार है
किसी का होना निहायती बेकार है
वो हमदर्द बनेंगे...
तुम हमसफ़र कहोगे..
ओर चले जायेंगे वो
तो तकलीफ सिर्फ तुम सहोगे,
ज़रूरी है ....
ज़रूरी है क्या..?कोई तुम्हे सुने या सिर्फ तुम्हारा ही बने ,
नही.....
किसी ओर की मत चाहत करो...
सिर्फ तुम ओर तुम इस दिल की राहत बनो..
-Ur\/!✍️