Wednesday, June 9, 2021

भूल - Bhul

हो गई जाया मोहोब्बत एक खुदगर्ज़ शख्स पे,
बेवफ़ाई मिली,
तन्हाई मिली,
बेज़ार किया,
ज़लील बार बार किया,
तमाशा किया,
बेतहाशा किया...
अब हो गया दिल खाली तो क्या कीजे.....
हो गई थी जो हमसे भूल क्या कीजे.....

-U₹\/!✍️

Monday, November 16, 2020

सियासत

लड़की पूछ रही है...

कपड़ो की कितनी परते चढ़ा दु की रेप नही होगा,
उम्र के कितने बीत जाने पे रेप नही होगा,
समय के कोन से पैमाने पे रेप नही होगा,
आंखों को कितना झुकाने पे रेप नही होगा,
आवाज को कितना दबाने पे रेप नही होगा,
रिश्तो को किस तरह निभाने पे रेप नही होगा,
क्यों मेरी आबरू हर शख्स नीलाम कर रहा है...
क्यों हर रिश्ता ये काम खुले आम कर रहा है...
कभी आंखों से छुपु...
कभी हाथो से बचूं....
कभी बदन को ढहकू...
कहा ले जाओ इस जिस्म को
की कहा इसे बचा के रखूं....

कैसा है वो इंसान जिसे मेरी उम्र का लिहाज़ नही दिखता,
वैसे धर्म दिखता है उसे मेरा..
लेकिन हवस में उसे मेरा हीजाब नही दिखता.
जाने कैसे लोग है ये
जिन्हें सियासत के आगे
मेरे ज़िस्म का फटा हुआ लिबाज़ नही दिखता.
मार डालो मुझे...
ओर मेरी इज़्ज़त तार तार कर दो,
एक बार से मन नही भरा,
तो आओ ओर एक बार कर दो,
ज़िंदा भी मत छोड़ो,
बोल पड़ूँगी
लाश को भी मेरी राख कर दो।

-Ur\/!✍️

Wednesday, September 23, 2020

Tuesday, September 22, 2020

राख

खाक सी हो गई है जिंदगी
बुझी हुई राख सी हो गई है जिंदगी,
ओर क्या बताऊँ इस कम्बक्त के बारे में...
वो जो होता है ना चांद में,
हा वही दाग सी हो गई गई है ज़िन्दगी।

-Ur\/!✍️

Thursday, September 17, 2020

कम्बक्त

अरे....
बुलाओ तो ज़रा पुरानी मोहोब्बतों को
कम्बक्त आजकल नींद बड़ी आ रही है।

-Ur\/!✍️

Tuesday, September 15, 2020

आदत

जिस आदत से उसे पाया था,
उसी आदत से खो रही हु
एक वक्त था बाहों में थी उसकी...
ओर आज तन्हा रो रही हु।


-Ur\/!✍️

Thursday, September 10, 2020

रूह

दम सा घुट रहा है अब इस ज़हान में
सांस भी नही ली जा रही खुले आसमान में
आँशु भी निकलते नही है
ओर देखूं उसे तो रुकते नही है
तलाश किसी की नही है अब,
फिर भी रूह ऐसे बैठक रही है
शायद मेरी ही शख्सियत मुझे बहुत खटक रही है
चीखना भी बहुत जोर से....
पर खामोशी भी चाहती है
न जाने ये ज़िन्दगी मेरी 
मुझसे अब क्या चाहती है

-Ur\/!✍️

Wednesday, September 9, 2020

बात क्यों नही करते

बात क्यों नही करते...?
क्या इतनी बुरी हु में...
क्या तुम्हें नही पता कि किस जगह रुकी हु में ,
हा में भी आगे बढ़ना चाहती हु।
तुम्हारे साथ हर एक सीढ़ी चढ़ना चाहती हु,
क्यों इस तरह अकेला छोड़ दिया है,
क्यों मुझे इतना तोड़ दिया है,
क्यों इतनी बेरुखी दिखाते हो,
तुम बहुत मजबूत हो क्या ये जताते हो।
क्या वो पहली मुलाकात भूल गए हो,
या वो पहली रात भूल गए हो,

         बताओ....
 बात क्यों नही करते।

चलो अब में भी खामोश हो जाती हु,
अपने तकिये को गले से लगाकर ही सो जाती हु।


-Ur\/!✍️

Tuesday, September 8, 2020

ईद का चांद

ईद का चांद सा हो गया है वो आजकल
दीदार के लिए पूरा साल इंतज़ार कराता है

-Ur\/!✍️

Monday, September 7, 2020

एक दॉव

ज़िन्दगी अगर खेल है,
तो फिर थोड़ा में भी खेल लुं.
फेकें है तूने इतने दॉव,
एक दॉव मे भी फेंक दुं।

-Ur\/!✍️

Saturday, September 5, 2020

वो

गलतफहमियां हो गई, 
    या दूर हो गई
    वो तो पता नही..
 बाद इतना समाज आया 
आज वो मुझसे दूर हो गई।


-Ur\/!✍️