लड़की पूछ रही है...
कपड़ो की कितनी परते चढ़ा दु की रेप नही होगा,
उम्र के कितने बीत जाने पे रेप नही होगा,
समय के कोन से पैमाने पे रेप नही होगा,
आंखों को कितना झुकाने पे रेप नही होगा,
आवाज को कितना दबाने पे रेप नही होगा,
रिश्तो को किस तरह निभाने पे रेप नही होगा,
क्यों मेरी आबरू हर शख्स नीलाम कर रहा है...
क्यों हर रिश्ता ये काम खुले आम कर रहा है...
कभी आंखों से छुपु...
कभी हाथो से बचूं....
कभी बदन को ढहकू...
कहा ले जाओ इस जिस्म को
की कहा इसे बचा के रखूं....
कैसा है वो इंसान जिसे मेरी उम्र का लिहाज़ नही दिखता,
वैसे धर्म दिखता है उसे मेरा..
लेकिन हवस में उसे मेरा हीजाब नही दिखता.
जाने कैसे लोग है ये
जिन्हें सियासत के आगे
मेरे ज़िस्म का फटा हुआ लिबाज़ नही दिखता.
मार डालो मुझे...
ओर मेरी इज़्ज़त तार तार कर दो,
एक बार से मन नही भरा,
तो आओ ओर एक बार कर दो,
ज़िंदा भी मत छोड़ो,
बोल पड़ूँगी
लाश को भी मेरी राख कर दो।
-Ur\/!✍️