लड़की पूछ रही है...
कपड़ो की कितनी परते चढ़ा दु की रेप नही होगा,
उम्र के कितने बीत जाने पे रेप नही होगा,
समय के कोन से पैमाने पे रेप नही होगा,
आंखों को कितना झुकाने पे रेप नही होगा,
आवाज को कितना दबाने पे रेप नही होगा,
रिश्तो को किस तरह निभाने पे रेप नही होगा,
क्यों मेरी आबरू हर शख्स नीलाम कर रहा है...
क्यों हर रिश्ता ये काम खुले आम कर रहा है...
कभी आंखों से छुपु...
कभी हाथो से बचूं....
कभी बदन को ढहकू...
कहा ले जाओ इस जिस्म को
की कहा इसे बचा के रखूं....
कैसा है वो इंसान जिसे मेरी उम्र का लिहाज़ नही दिखता,
वैसे धर्म दिखता है उसे मेरा..
लेकिन हवस में उसे मेरा हीजाब नही दिखता.
जाने कैसे लोग है ये
जिन्हें सियासत के आगे
मेरे ज़िस्म का फटा हुआ लिबाज़ नही दिखता.
मार डालो मुझे...
ओर मेरी इज़्ज़त तार तार कर दो,
एक बार से मन नही भरा,
तो आओ ओर एक बार कर दो,
ज़िंदा भी मत छोड़ो,
बोल पड़ूँगी
लाश को भी मेरी राख कर दो।
-Ur\/!✍️
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Monday, November 16, 2020
Friday, September 25, 2020
Wednesday, September 23, 2020
Khud ko
Ek uske alava muje puri duniya ne toka hai
Aisa kya hua jo tuje khud ko is kader roka hai.
-Ur\/!✍️
Tuesday, September 22, 2020
राख
खाक सी हो गई है जिंदगी
बुझी हुई राख सी हो गई है जिंदगी,
ओर क्या बताऊँ इस कम्बक्त के बारे में...
वो जो होता है ना चांद में,
हा वही दाग सी हो गई गई है ज़िन्दगी।
-Ur\/!✍️
Thursday, September 17, 2020
Tuesday, September 15, 2020
आदत
जिस आदत से उसे पाया था,
उसी आदत से खो रही हु
एक वक्त था बाहों में थी उसकी...
ओर आज तन्हा रो रही हु।
-Ur\/!✍️
Thursday, September 10, 2020
रूह
दम सा घुट रहा है अब इस ज़हान में
सांस भी नही ली जा रही खुले आसमान में
आँशु भी निकलते नही है
ओर देखूं उसे तो रुकते नही है
तलाश किसी की नही है अब,
फिर भी रूह ऐसे बैठक रही है
शायद मेरी ही शख्सियत मुझे बहुत खटक रही है
चीखना भी बहुत जोर से....
पर खामोशी भी चाहती है
न जाने ये ज़िन्दगी मेरी
मुझसे अब क्या चाहती है
-Ur\/!✍️
Wednesday, September 9, 2020
बात क्यों नही करते
बात क्यों नही करते...?
क्या इतनी बुरी हु में...
क्या तुम्हें नही पता कि किस जगह रुकी हु में ,
हा में भी आगे बढ़ना चाहती हु।
तुम्हारे साथ हर एक सीढ़ी चढ़ना चाहती हु,
क्यों इस तरह अकेला छोड़ दिया है,
क्यों मुझे इतना तोड़ दिया है,
क्यों इतनी बेरुखी दिखाते हो,
तुम बहुत मजबूत हो क्या ये जताते हो।
क्या वो पहली मुलाकात भूल गए हो,
या वो पहली रात भूल गए हो,
बताओ....
बात क्यों नही करते।
चलो अब में भी खामोश हो जाती हु,
अपने तकिये को गले से लगाकर ही सो जाती हु।
-Ur\/!✍️
Tuesday, September 8, 2020
Monday, September 7, 2020
एक दॉव
ज़िन्दगी अगर खेल है,
तो फिर थोड़ा में भी खेल लुं.
फेकें है तूने इतने दॉव,
एक दॉव मे भी फेंक दुं।
-Ur\/!✍️
Saturday, September 5, 2020
Wednesday, September 2, 2020
Tuesday, September 1, 2020
इंसान
इतना बेरुखा, इतना बत्तमीज़,
इतना बदजुबान हुँ...
क्या करूँ साहब में भी जमाने का सताया हुआ एक इंसान हुँ।
-Ur\/!✍️
Monday, August 31, 2020
गुलाम
में चाहत में हुँ,वो है कि मुझे गुलाम समझती है
और में महफिल ऐ ख़ास हुँ, पर वो नासमझ मुझे आम समझती।
-Ur\/!✍️
Sunday, August 30, 2020
हक़
लगता है मोहोब्बत बची ही नही है निभाने को,
चलो अब मन भी कहा करता है कुछ बताने को
लड़ूं उनसे या चुप रहूं,
खेर अब वो है भी कहा..!
हक़ जताने को...
-Ur\/!✍️
Friday, August 28, 2020
Thursday, August 27, 2020
सितम
ऐ बारिश तू मुझ पे ओर कितने सितम ढायेगी
तू मुझे उसकी ओर कितनी याद दिलाएगी,
वो ज़िद्दी है,
अब नही आएगी.....
पर तु इस तरह से बरस के उसे ओर कब तक बुलाएगी।
-Ur\/!✍️
Tuesday, August 25, 2020
तबाह
अपनो का दिया ज़ख़्म सबसे बुरा होता है,
ओर ये बात सच है...
कि मोहोब्बत में इंसान सिर्फ तबाह होता है।
-Ur\/!✍️
Monday, August 24, 2020
हिसाब
चेहरे पे सादगी...
ओर दिल मे गहरे राज रखते है
कोन कितना पानी मे है,
हम सबका हिसाब रखते है।
-Ur\/!✍️
Thursday, August 20, 2020
कम्बख़त
वैसे तो वक़्त ही कहा छोड़ा उन्हें याद करने का,
लेकिन वो भी कम्बखत...
दिलों दिमाग पे कब्ज़ा कर के बैठे है।
-Ur\/!✍️
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