बात क्यों नही करते...?
क्या इतनी बुरी हु में...
क्या तुम्हें नही पता कि किस जगह रुकी हु में ,
हा में भी आगे बढ़ना चाहती हु।
तुम्हारे साथ हर एक सीढ़ी चढ़ना चाहती हु,
क्यों इस तरह अकेला छोड़ दिया है,
क्यों मुझे इतना तोड़ दिया है,
क्यों इतनी बेरुखी दिखाते हो,
तुम बहुत मजबूत हो क्या ये जताते हो।
क्या वो पहली मुलाकात भूल गए हो,
या वो पहली रात भूल गए हो,
बताओ....
बात क्यों नही करते।
चलो अब में भी खामोश हो जाती हु,
अपने तकिये को गले से लगाकर ही सो जाती हु।
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